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मज़दूर पर कविता: मज़दूर की मजबूरी तथा व्यापक व्यथा को दर्शाती हिंदी कविता

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विश्व मज़दूर दिवस


ज्येष्ठ मास की भरी दुपहरी
रवि की रश्मियाँ बनी अनल है।
पर मजदूर कठिन श्रम करता
कर्ममग्न, अविचल, अविकल है।।

स्वेद संग मिलती जब मिट्टी
खुश्बू फैले देह से उसकी।
नाम-मात्र को वस्त्र है पहने
पर्णकुटी में वसुधा जिसकी।।

भूख-प्यास से परे कर्मरत
श्रम रूपी जब बहे पसीना।
लीन महातप में रह करके  
तपकर निकलें बने नगीना ।

दुःख-तकलीफ और चिन्ता संग
तिल-तिल घुटना नियति जिनकी।
लाचारी, बीमारी, व्यसन में है
प्रति-पल मरना किस्मत उनकी।

हाड़-तोड़ मेहनत करके भी
जीवन-यापन मुश्किल होता।
विगत की यादें, भविष्य की चिन्ता
विस्मृत कर, मुँह को ढक सोता।।

कितनी हों? विकास की बातें 
पर उनके ढंग वैसे का वैसे।
उन्हें प्रतीक्षा ही करनी है
मानसूनी मौसम के जैसे।।

नीति-नियंताओं के नियमन
से जन-गण-मन शर्मिंदा हैं।
मजलूमों, मजबूरों के संग
भावुक विष को पी जिन्दा हैं..।।


कवि:
डॉ. अवधेश तिवारी "भावुक"
दिल्ली, 9811309809


विषय विशेष

यह कविता मजदूर वर्ग की स्थिति और उनके संघर्षों को उजागर करती है। कवि ने मजदूरों की कठिनाइयों, उनकी लाचारी, और उनके जीवन के संघर्ष को बहुत ही मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया है। कविता में कवि ने मजदूरों के जीवन की वास्तविकता को दिखाया है और उनके प्रति सहानुभूति प्रकट की है।

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काव्य विश्लेषण:


मजदूर दिवस पर लिखी गई यह कविता मजदूर वर्ग के संघर्षों और उनकी स्थिति को उजागर करती है। कविता में कई महत्वपूर्ण विषयों को छुआ गया है, जिनमें से कुछ प्रमुख विषय हैं:

1. मजदूरों की कठिनाइयाँ: 
कविता में मजदूरों की कठिनाइयों और संघर्षों को दिखाया गया है, जैसे कि गर्मी में कठिन श्रम करना, पसीना बहाना, और दुःख-तकलीफ सहना।

2. लाचारी और बीमारी: 
कविता में मजदूरों की लाचारी और बीमारी की स्थिति को भी दिखाया गया है, जो उनके जीवन को और भी कठिन बना देती है।

3. विकास की बातें: 
कविता में कवि ने विकास की बातों को उठाया है, लेकिन मजदूरों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होने की बात कही है।

4. नीति-नियंताओं की भूमिका: 
कविता में कवि ने नीति-नियंताओं की भूमिका पर सवाल उठाया है, जो मजदूरों के हितों की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं।

5. मजदूरों की भावनाएँ: 
कविता में कवि ने मजदूरों की भावनाओं को भी व्यक्त किया है, जैसे कि उनकी लाचारी, दुःख, और चिन्ता।


कुल मिलाकर, कविता मजदूर वर्ग के संघर्षों और उनकी स्थिति को उजागर करती है, और नीति-नियंताओं से मजदूरों के हितों की रक्षा करने की अपील करती है।