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लेखक सत्ता से मिला

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लेखक सत्ता से मिला


लेखक सत्ता से मिला, 
लेखन ऊटपटाँग।
साज-बाज यह हो गया, 
लाज ताख पर टाँग।।

सत्ता को मौसी कहे, 
नेता माई-बाप।
पीड़ा जन की भूल कर, 
लेखक करता पाप।।

सत्ता से जो मिल गए, 
तोड़ कलम की रीत।
चापलूस बन लिख रहे, 
बन सत्ता के मीत।।

बाग बहारें तो लिखे, 
छोड़ खेत खलिहान।
सत्ता इसको कह रही, 
लेखक खूब महान।।

तज दे सुविधा राजसी, 
रही सृजन जो रोक।
कर वंचित की पैरवी, 
पूरी ताक़त झोंक।।

लेखन ऐसा कीजिए, 
जो हो जन आवाज।
वंचित का कल्याण हो, 
रहे चेतता राज।।

'सिल्ला' लेखन में करें, 
आस-पास हालात।
इसके लेखन पर करें, 
लोग बात बेबात।।

कवि:
विनोद सिल्ला
फतेहाबाद, हरियाणा
9728398500



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 विषय विशेष:


इसमें कोई संदेह नहीं कि सत्ता और लेखन दो अलग-अलग कार्य है। क्योंकि, लेखन सत्ता का मार्गदर्शन करने के साथ-साथ जन-जन की आवाज को सत्ताधारी तक पहुँचाने के लिए उत्तरदायी है अतः इन दोनों के एक होना को, जनता के लिए संकट की घड़ी मानी जा सकती है।

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नहीं जहर में जहर अब


नहीं जहर में जहर अब,
खोए गुण अरु दोष। 
मानव  जहरीला  हुआ, 
इसी  बात  का  रोष।।

जाति-धर्म  के  जहर  से, 
भरे लबालब लोग। 
कौन  करे  उपचार  अब, 
बढ़ता  जाता रोग।।

जहर उगलते फिर रहे, 
सजा-सजा कर मंच। 
समता-ममता  लील  कर, 
बने  धर्म के  पंच।।

जहर  जहर  को  मारता, 
जहर करे उपचार। 
मानव का विष कम करे, 
है  कोई  फनकार।।

जहर  बुझे  से  सब  हुए, 
आया  कैसा  दौर। 
आपा-धापी  मच   रही,  
बदले  सबके  तौर।।

जहर  भरा  हर  बात  में,  
भूले   मीठे  बोल।
करो जतन ऐसे सभी, 
अमृत फिजा में घोल।।

'सिल्ला' बचना जहर से, 
ढूंढ़  बचण के ढंग।
नहीं  बचा जो  जहर  से, 
होता  फिरता तंग।।


कवि:
विनोद सिल्ला
फतेहाबाद, हरियाणा
9728398500

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विषय विशेष:


यह कविता बहुत ही प्रभावशाली और विचारोत्तेजक है। कवि ने समाज में व्याप्त जहर को उजागर किया है, जो जाति-धर्म के नाम पर फैल रहा है।

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विश्लेषण:

कविता के कुछ मुख्य बिंदु हैं:

1. जहर की व्यापकता
कवि कहता है कि जहर हर जगह है, और लोग इससे भरे हुए हैं।
2. जाति-धर्म का जहर
कवि कहता है कि जाति-धर्म के नाम पर लोग एक दूसरे के खिलाफ जहर उगलते हैं।

3. समता-ममता की कमी: 
कवि कहता है कि समता-ममता की जगह धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है।

4. उपचार की आवश्यकता
कवि कहता है कि इस जहर को कम करने के लिए कोई फनकार चाहिए जो मानवता को बचाए।


कविता का संदेश यह है कि हमें जहर से बचना चाहिए और समता-ममता को बढ़ावा देना चाहिए। कवि ने अपनी बात कहने के लिए उपयुक्त भाषा और शैली का चयन किया है।